नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) एक तरह का अधिकारिक रूप से घोषणा पत्र होता है। इसके माध्यम से किसी दस्तावेज में लिखी जानकारी पर कोई आपत्ति नहीं होने की घोषणा की जाती है। घर बनाने के लिए जमीन खरीदते समय या कॉलोनी या बिल्डिंग में फ्लैट लेते समय एनओसी लेने का मतलब है कि उसका अधिग्रहण या निर्माण कानून के दायरे में हुआ है। एनओसी होने से कानूनी वाद-विवाद की आशंका नहीं रहती।

घर बनाने या खरीदने के लिए जरूरी एनओसी

अगर जमीन लेकर घर बना रहे हैं तो….

मकान बनाने के लिए जमीन का सरकारी ना होने या उस पर निर्माण कार्य के लिए एनओसी. लेना जरूरी है। शहरी क्षेत्रों के लिए यह संबंधित कलेक्टर या नजूल अधिकारी जारी करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह संबंधित जिला पंजायत और डिप्टी कलेक्टर जारी करते हैं। जमीन पर घर बनाने के लिए स्थानीय प्रशासन से एनओसी के बाद ही डायवर्जन, नक्शा और लोन की प्रक्रिया के लिए आगे बढ़ा जा सकता है।

फ्लैट खरीद रहे हैं तो..

‘कॉलोनी डेवलपर से फ्लैट या जमीन खरीदते समय एनओसी दस्तावेजों को देखना और इनकी कॉपी लेना जरूरी है। संपत्ति के मालिकाना हक, राजस्व रिकॉर्ड, खसरा, खतौनी, राजस्व नक्शा, राजस्व बटान, सीमांकन, निर्माण अनुमतियां और स्वीकृत नक्शे की एनओसी लेनी चाहिए। नजूल निगम/प्राधिकरण/ हाउसिंग बोर्ड की एनओसी होनी चाहिए। बैंक ने फाइनेंस किया है तो उसके एनओसी के दस्तावेज और उसकी कॉपी लेना जरूरी है।

संपत्ति पैतृक है तो….

पैतृक संपत्ति की खरीद में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उस प्रॉपर्टी को बेचने के लिए सभी हिस्सेदारों से एनओसी लिया गया है या नहीं। हिंदू उत्तराधिकार कानून, मुस्लिम कानून और ईसाई के मामले में भारतीय उत्तराधिकार कानून 1925 के तहत सभी शामिल पक्षों से एनओसी जरूरी है। अगर इसमें कोई नाबालिग है तब कोर्ट से हासिल लीगल परमिशन देखना चाहिए। इन बारिकियों की जानकारी नहीं होने पर लोग कानूनी विवाद में फंस जाते हैं।

रेरा में एनओसी को लेकर नियम

रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी (रेरा) के सेक्शन 15 के मुताबिक अगर डेवलपर अपने अधिकार और लायबिलिटी किसी तीसरे पक्ष को ट्रांसफर करता है तो उसे दो तिहाई खरीदारों से सहमति जरूरी है। उस प्रोजेक्ट में फ्लैट लेने वाले लोगों से सर्टिफिकेट लेना पड़ता है। इसके बाद रेरा भी अपनी तरफ से ऐसे लायबिलिटी